Madan Mohan Mandir - Shergarh
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Address : | Shergarh, Uttar Pradesh 281404, India |
Postal code : | 281404 |
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★ ★ ★ ★ ★ मथुरा-वृंदावन को कान्हा की नगरी कहा जाता है इसलिए यहां के हर मंदिर से भगवान कृष्ण की लीलाओं और अनंत कहानियां जुड़ी हुई हैं। ऐसा ही एक मंदिर है चटोरे भगवान मदन मोहन का मंदिर। चटोरे मदनन मोहहन का मंदिर वृंदान मेंं स्थित है। इस मंदिरा का इतिहास बड़ा रोचक है।
ये है इतिहास
वृन्दावन परिक्रमा मार्ग में मदन मोहन मंदिर स्थित है। यह मंदिर आज से 515 वर्ष पुराना है और इस मंदिर का एक अलग ही महत्व है। मदन मोहन मंदिर के सेवायत पुजारी अनादि मोहनदास ने मंदिर का इतिहास बताते हुए कहा कि इस मंदिर की नीव वह आज से 515 वर्ष पहले रखी गयी। कहा जाता है कि मदन मोहन जी का जन्म यमुना जी से हुआ था। सुबह के समय मथुरा की एक चौबे की पत्नी यमुना में स्नान करने जाया करती थीं। एक दिन चौबे की पत्नी को मदन मोहन पानी में खेलते हुए मिले उन्होंने कई आवाजें लगाईं लेकिन उनकी आवाज सुनकर कोई नहीं आया तब चौबे की ने मदन मोहन को अपनी गोद में लिया और अपने घर ले आईं। मदन मोहन ने चौबे की पत्नी से बचन लिया कि मैं तुम्हारे साथ जा तो रहा हूं लेकिन जिस दिन तुमने मुझे घर से निकलने के लिए कहा उसी दिन मैं घर से चला जाऊंगा। बड़े होकर मदन मोहन ने मथुरा के लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। कभी किसी का माखन चुरा लेते थे तो कभी किसी का मिश्री चुरा लेते थे। मदन मोहन के इस कृत्य को देखकर मथुरा के लोग परेशान हो गए और मदन मोहन की शिकायत चौबे की पत्नी से कर दी। शिकायत के बाद वह बहुत तेज गुस्सा हुईं और मदन मोहन को डांटकर बोलींं कि तुम यहां से चले जाओ, उसी दौरान वहां से सनातन गोस्वामी गुजर रहे थे तो मदन मोहन ने सनातन गोस्वामी को रोक कर कहा कि बाबा मुझे आपके साथ चलना है। इसके बाद वह सनातन गोस्वामी के साथ चले गए।
रास्ते में सनातन गोस्वामी ने मदन मोहन से बचन लिए कि जैसा मैं खिलाऊंगा वैसा खाओगे जैसा रखूंगा वैसा रहोगे तो मदन मोहन ने वचन देते हुए कहा कि आप जैसा खिलाओगे मैं वैसा खाऊंगा और जैसा रखोगे मैं वैसा रखूंगा। इतना कहकर सनातन गोस्वामी मदन मोहन को अपने साथ वृंदावन ले गए। वृंदावन के टीले पर यह लोग रहने लगे और वृंदावन से वह आटा मांग कर लाते। उस आटे को यमुना जल में गूंथ कर उसकी बाटी बनाते और सनातन गोस्वामी पहले मदनमोहन को भोग लगाते उसके बाद खुद खाते। काफी लंबे समय तक ऐसा ही चलता रहा एक दिन मदन मोहन ने कहा कि मैं अरोनी बाटी नहीं खाऊंगा तो सनातन ने मदन मोहन से कहा कि मैंने आपसे वचन लिया था कि मैं जैसा आपको खिलाऊंगा वैसा आप खाएंगे और ध्यान रखूंगा वैसे रहेंगे। मंदिर के पुजारी ने यह भी बताया कि एक पंजाब के रहने वाले एक व्यापारी रामदास जोकि सेंधा नमक और फल का व्यापार करते थे वह दिल्ली से आगरा तक अपना व्यापार करते थे कुछ दिन बाद जब वह दिल्ली से चलकर आगरा के लिए जा रहे थे और उनके जहाज में फल और सेंधा नमक भरा हुआ था जैसे ही उनका जहाज वृंदावन पहुंचा तो उनका जहाज एक टीले पर अटक गया और कई घंटे बाद भी वह जहाज वहां से नहीं निकल पाया। व्यापारी रामदास ने टीले पर एक बच्चे की आवाज सुनी तो व्यापारी जहाज से उतर कर बच्चे के पास गया बच्चे के पास सनातन गोस्वामी बैठे हुए थे और बच्चा यमुना में खेल रहा था। सनातन गोस्वामी से व्यापारी रामदास ने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया तो सनातन गोस्वामी ने कहा कि आपकी जो समस्या है उसका निदान यमुना के तीर में खेल रहा बच्चा कर सकता है आप उनके पास जाओ और उनसे जाकर बात करो। व्यापारी रामदास मदन मोहन के पास गए और उनसे अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया। मदन मोहन ने कहा कि तुम्हारे जहाज में क्या भरा हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रभु मेरे जहाज में सेंधा नमक और फल भरे हुए हैं। मदन मोहन ने कहा तुम्हारा जहाज निकल तो जाएगा लेकिन उसके बदले मुझे क्या मिलेगा व्यापारी ने मदन मोहन से कहा कि मेरे जहाज में सेंधा नमक और फल भरा हुआ था जो कि पानी से खराब हो चुका है मैं आप को क्या दे सकता हूं। व्यापारी से मदन मोहन से कहा कि आप अपने जहाज के पास जाइए जहाज आपका ठीक है और कोई सामान भी नुकसान नहीं हुआ है। व्यापारी अपने जहाज के पास गया तो उसने देखा कि जहाज में सेंधा नमक और फल की जगह हीरा जवाहरात पन्ना सोना-चांदी भरा हुआ था। यह देखकर व्यापारी रामदास लौट कर वापस उस बालक के पास गए और उनसे कहा प्रभु आप जैसा आदेश करें मैं वैसा करूंगा।
ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण
बताया जा ता है कि इसके बाद उसी व्यापारी ने भगवान मदन मोहन का मंदिर बनवाया। व्यापारी द्वारा बनवाया गया मंदिर आज भी विश्व में अपनी ख्याति बिखेर रहा है। इस मंदिर के निर्माण से पहले मदनेश्वर महादेव मंदिर, सूर्य मंदिर ,सूर्य घाट, शीतला माता मंदिर और इसके साथ चार कुटिया भी उसी व्यापारी ने बनवाई थी।
यमुना की गहराई तक गहरी है मंदिर की नींव
मदन मोहन मंदिर की एक खास बात और है कि यह मंदिर यमुना से 70 फीट ऊंचा है और 70 फीट नीचे तक यमुना में इसकी नींव है ।
Mathura-Vrindavan is called the city of Kanha, hence the pastimes and endless stories of Lord Krishna are attached to every temple here. One such temple is the temple of Chatore Lord Madan Mohan. The temple of Chatore Madanan Mohan is located in Vrindan. The history of this temple is very interesting.
This is history
Madan Mohan Temple is located on Vrindavan Parikrama Marg. This temple is 515 years old from today and this temple has a different significance. Anadi Mohandas, a serving priest of the Madan Mohan temple, said that the foundation of this temple was laid 515 years ago. It is said that Madan Mohan ji was born to Yamuna ji. In the morning, the wife of a Chaubey of Mathura used to go for a bath in Yamuna. One day, Choubey's wife found Madan Mohan playing in the water, he made many voices but no one came to hear his voice, then Choubey took Madan Mohan in his lap and brought her home. Madan Mohan saved Chaubey's wife that I am going with you but the day you told me to leave the house, I will leave the same day. Growing up, Madan Mohan started harassing the people of Mathura. Sometimes they stole someone's butter and sometimes they stole someone's sugar candy. On seeing this act of Madan Mohan, the people of Mathura got upset and complained about Madan Mohan to Choubey's wife. After the complaint she became very angry and scolded Madan Mohan and said that you go away from here, while Sanatan Goswami was passing from there, Madan Mohan stopped Sanatan Goswami and said that Baba I have to go with you. He then left with Sanatan Goswami.
On the way, Sanatan Goswami saved from Madan Mohan that if I will eat what I eat, I will keep what I will keep, then Madan Mohan promised that I will eat as you feed and I will keep as you keep. Saying so, Sanatan Goswami took Madan Mohan with him to Vrindavan. These people started living on the mound of Vrindavan and they would have demanded flour from Vrindavan. After kneading the flour in Yamuna water, make its baati and Sanatan Goswami first used to offer food to Madan Mohan and then ate it himself. One day Madan Mohan said that I will not eat Aroni baati, then Sanatan told Madan Mohan that I had promised you that you will eat and care as you feed me. The temple priest also told that Ramdas, a businessman from Punjab who used to trade rock salt and fruits, did his business from Delhi to Agra a few days later when he was going from Delhi to Agra and his The ship was filled with fruit and rock salt. As soon as their ship reached Vrindavan, their ship got stuck on a mound and even after several hours that ship could not get out of it. The merchant Ramdas heard the sound of a child on the mound, and after getting off the merchant ship went to the child, the child was sitting with Sanatan Goswami and the child was playing in the Yamuna. When the businessman Ramdas told Sanatan Goswami about the incident with him, Sanatan Goswami said that the child playing in Yamuna's arrow can solve your problem, you go to them and talk to them. Businessman Ramdas went to Madan Mohan and told him about the incident with him. Madan Mohan said what is full in your ship. He told that the Lord is full of rock salt and fruits in my ship. Madan Mohan said, "Your ship will leave, but what will I get in return?" The merchant told Madan Mohan that my ship was full of rock salt and fruits which have been spoiled by water, what can I give you. The merchant told Madan Mohan that you go to your ship, your ship is fine and no goods have been damaged. When the merchant went to his ship, he saw that instead of rock salt and fruit in the ship, diamond gems, emeralds were filled with gold and silver. Seeing this, the merchant returned to Ramdas and went back to the child and told him that I will do as the Lord orders.
This is how the temple was built
It is said that after that the same merchant built the temple of Lord Madan Mohan. The temple built by the merchant is still spreading his fame in the world. Prior to the construction of this temple, Madaneshwar Mahadev Temple, Surya Mandir, Surya Ghat, Shitala Mata Temple and four huts were also built by the same merchant.
The foundation of the temple deepens to the depths of Yamuna
Another special feature of the Madan Mohan temple is that this temple is 70 feet higher than the Yamuna and its foundation is in the Yamuna up to 70 feet below.
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