Shiv mandir - Barwani

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NavalPura, Barwani, Madhya Pradesh 451551, India

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।।ॐ।। ओम नम: शिवाय।- 'ओम' प्रथम नाम परमात्मा का फिर 'नमन' शिव को करते हैं। 'सत्यम, शिवम और सुंदरम' जो सत्य है वह ब्रह्म है:- ब्रह्म अर्थात परमात्मा। जो शिव है वह परम शुभ और पवित्र आत्म तत्व है और जो सुंदरम है वही परम प्रकृति है। अर्थात परमात्मा, शिव और पार्वती के अलावा कुछ भी जानने योग्य नहीं है। इन्हें जानना और इन्हीं में लीन हो जाने का मार्ग है-हिंदुत्व। शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव को छोड़कर अन्य किसी में मन रमाते रहने वाले सनातन विरुद्ध है। शिव है धर्म की जड़। शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृ‍ति कभी क्षमा नहीं करती है। शिव का रूप : शिव यक्ष के रूप को धारण करते हैं और लंबी-लंबी खूबसूरत जिनकी जटाएँ हैं, जिनके हाथ में ‘पिनाक’ धनुष है, जो सत् स्वरूप हैं अर्थात् सनातन हैं, यकार स्वरूप दिव्यगुणसम्पन्न उज्जवलस्वरूप होते हुए भी जो दिगम्बर हैं। जो शिव नागराज वासुकि का हार पहिने हुए हैं, वेद जिनकी बारह रुद्रों में गणना करते हैं, पुराण उन्हें शंकर और महेश कहते हैं उन शिव का रूप विचित्र है। अर्धनग्न शरीर पर राख या भभूत मले, जटाधारी, गले में रुद्राक्ष और सर्प लपेटे, तांडव नृत्य करते हैं तथा नंदी जिनके साथ रहता है। उनकी भृकुटि के मध्य में तीसरा नेत्र है। वे सदा शांत और ध्यानमग्न रहते हैं। इनके जन्म का अता-पता नहीं हैं। वे स्वयंभू माने गए हैं। शिव निवास : ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर प्रारम्भ में उनका निवास रहा। वैज्ञानिकों के अनुसार तिब्बत धरती की सबसे प्राचीन भूमि है और पुरातनकाल में इसके चारों ओर समुद्र हुआ करता था। फिर जब समुद्र हटा तो अन्य धरती का प्रकटन हुआ। जहाँ पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है। ऐसा पुराण कहते हैं। शिव भक्त : ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी। शिव ध्यान : शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीम मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है। शिव मंत्र : दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ शिव पर्व : महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। श्रावण मास में व्रत रखने के पश्चात्य इस पर्व को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के नियम हैं। शिव परिवार : शिव की अर्धांगिनी का नाम पार्वती है। इनके दो पुत्र हैं स्कन्द और गणेश। स्कंद को कार्तिकेय भी कहते हैं। आदि सतयुग के राजा दक्ष की पुत्री पार्वती माता को सती कहा जाता है। यह सती शब्द बिगड़कर 'शक्ति' हो गया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वे पर्वतराज अर्थात पर्वतों के राजा की पुत्र थीं। राजकुमारी थीं, लेकिन वे भस्म रमाने वाले योगी शिव को अपना पति बनाना चाहती थीं। शिव के कारण ही उनका नाम शक्ति हो गया। पिता की ‍अनिच्छा से उन्होंने हिमालय के इलाके में ही रहने वाले योगी शिव से विवाह कर लिया। शिव महिमा : शिव ने कालकूट नामक विष ‍पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर को जो वरदान दिया था उसके जाल में वे खुद ही फँस गए थे। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया था । ब्रह्म ा द्वार ा छ ल कि ए जान े प र शि व न े ब्रह्म ा क ो शापि त क र विष्ण ु क ो वरदा न दिय ा था । शि व क ी महिम ा क ा वर्ण न पुराणो ं मे ं मिलत ा है। शैव परम्परा : ऋग्वेद में वृषभदेव का वर्णन मिलता है, जो जैनियों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ कहलाते हैं। माना जाता है कि शिव के बाद मूलत: उन्हीं से एक ऐसी परम्परा की शुरुआत हुई जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगम्बर और सूफी सम्प्रदाय में वि‍भक्त हो गई। फिर भी यह शोध का विषय है। शैव, शाक्तों के धर्मग्रंथों में शिव परंपरा का उल्लेख मिलता है। भारत के चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
.. .. Om Namah: Moreover.- 'Om' first names the divine and then 'Naman' to Shiva. The truth which is Satyam, Shivam and Sundaram is Brahma: Brahma means God; The one who is Shiva is the ultimate auspicious and holy soul element and the one who is Sundaram is the ultimate nature. That means nothing other than Parmatma, Shiva and Parvati is not known. It is a path to know and get absorbed in them-Hindutva. Shiva is the first and Shiva is the last. Shiva is the supreme cause and work of Sanatan Dharma. Contrary to the eternal love of any other than Shiva, it is against Sanatan. Shiva is the root of religion. There is religion, meaning, work and salvation only from Shiva. All the world is in the shelter of Shiva, which is not sheltering against Shiva, the creature drowns in the deep pit of suffering, it is called Puran. The nature never forgets the person who insulted Shiva unknowingly. The form of Shiva: Shiva holds the form of Yaksa, and long-lived beautiful people whose shoes are in their hands, 'Pinak' is the bow, which is Sat, which is Satat, ie the Divine aspect is bright even though it is bright. Those who are wearing Shiva Nagraj Vasukhi's necklace, the Vedas who count them in twelve Rudras, Puranas call them Shankar and Mahesh. The form of Shiva is strange. Ash or Bhakt, on the Ardhnna body, wrap up the Rudraksh and Sarp in the neck, the ornament, and the Nandis dance together and Nandi lives with them. The third eye is in the middle of their frustration. They are always calm and meditative. Their birth is not known at all. They are considered self-righteous. Shiva Niwas: His stay at the Kailash Mountains in Tibet was early. According to scientists, Tibet is the oldest land in the world, and in ancient times it used to be the ocean. Then when the sea was removed then the other earth was revealed. The place where Lord Shiva is situated is right below the mountain which is the place of Lord Vishnu. Above the atmosphere above Shiva's posture is the place of Paradise Lok and then Brahmaji. Such is called Puran. Shiva devotee: Lord Ram and Krishna, including Brahma, Vishnu and all deities, are also Shiva devotees. According to Harivansh Purana, on the Kailas mountain, Krishna practiced penance to please Shiva. Lord Rama had established a Shivling in Rameswaram and worshiped him. Shiva meditation: Shiva's meditation-worship is done for worship of Shiva. By churning Shivlinga by giving a bill sheet, chanting the meditative chants of meditation or meditation, the path of liberation is confirmed. Shiva Mantra: There are only two mantras of Shiva - Namah: Moreover. Second Mahamrityunjaya Mantra - Hrun Ju Sas Land: Bhuvah self Trimbak Yajamhe Sugandhi Puthivivradhanam Urvoromic fibrosis Self Bhava: Land. Sa: Xu Hrun Shiva festival: Mahashivaratri is the main festival of Lord Shiva. This festival is celebrated after the fasting of the month of Shravan. There are rules to celebrate this festival. Shiva family: Parvati is the name of Shiva's Ardhangini. His sons are Skand and Ganesh. Skanda is also called Kartikeya. Etc. Parvati Mata, daughter of King Daksha of Satyuga, is called Sati. This sati word became spoiled and became 'power' Parvati's name was so that he was the son of the mountain of the mountains. The princess was there, but she wanted to make Shiva a husband who was involved in her husband. Because of Shiva, his name became power. The father reluctantly reluctantly married a Yogi Shiva who lived in the Himalayas. Shiva Mahima: Shiva had a poison called Kaikoot, which was during Amrit Manthan. They were trapped in the trap of Shiva's gift to Bhasmasur. Shiva consumed Cupid. Shiva had destroyed the sacrifice of Daksh. The Brahma Gate knew that the ancient Goddess Vishnu was not given the gift of the Holy Spirit. The letters of the glory and the glory of the glory are found in the myths. Shaiva tradition: In Rig Veda, there is description of Vrishabhdev, which is called the first tirthankar of Jains, called Rishabhnath. It is believed that after Shiva, originally a tradition started from them, which later became divided into Shaiva, Siddha, Nath, Digambar and Sufi sect. Yet this is the subject of research. Shiva tradition refers to Shiva tradition in the scriptures of the rulers. Chandravanshi, Suryavanshi, Agnivanshi and Nagavanshi of India are also considered as the tradition of Shiva. The protector of India and the adorable god Shiva of the tribal caste itself. Shaivism is the religion of tribals of India.
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ARVINDA on Google

Good hindu tempal
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Anup Gupta on Google

street side temple only. jai mahakal.

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