Ajachak Ashram - Kolkata

4.3/5 based on 8 reviews

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Address :

P238, CIT Rd, Scheme VI-M, Kankurgachi, Kolkata, West Bengal 700054, India

Phone : 📞 +98
Postal code : 700054
Website : http://www.themultiversitypupunkiashrama.com/books.php
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Soumit Acharjee on Google

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Birendra Nath Mazumder on Google

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Anil Kumar Singh on Google

सर्वप्रथम स्वामी स्वरूपानन्द अखण्डमण्डलेश्वर जी के श्री चरणों में नमन करता हूँ ।मैं सबसे पहले उनके साहित्य का अध्ययन अपने दोस्त के साथ बैठकर नित्य करता था ।मै कलकत्ता काकुरगाछी अजाचक आश्रम में एक दिन उपासना के समय पहुंचा,उपासना हो रहा थाअतः मै कोई आवाज किए चूपचाप बैठ गया ।उपासना विधि का मुझे ज्ञान न था।उपासना के उपरान्त लोग ऊं विग्रह को पुष्पांजलि अर्पितकर प्रणाम कर रहे थे,मैने भी किया ।भक्त गण पीछे मुड़कर एक साधु महापुरूष को भी प्रणाम कर रहे थे ।तब मैने जाना मैं स्वामी स्वरूपानन्द जी(बाबा मोनी) का दर्शन कर रहा हूँ ।मैने न किसी से बात किया था और न एक शब्द का उच्चारण किया था ।मै अपनी बारी में जब बाबा मोनी को प्रणाम किया तो मेरे पीठ पर हाथ रख कर बोले"आते रहो"।बाबा मोनी कैसे जान गए मै हिन्दी भाषी हूँ?फिर उनके आकर्षण का सिलसिला चल पड़ा ।बोकारो रहते पुपुनकी आश्रम जाने लगा,शिक्षक मोन्टू दा के साथ चरित्र गठन आन्दोलन सभा में भाग लेने लगा ।काकुरगाछी में बाबा मोनी से दीक्षा ग्रहण के बाद बोकारो अखण्ड मंडली के उपासना में भाग लेने लगा ।उपासना और बाबा मोनी के गाने का रिकार्ड जब बनकर आया,संयोग से मैं उसी दिन काकुरगाछी में पहुंचा था।बाबा मोनी के हाथों वह पहला रिकार्ड्स सेट मिला,मै धन्य हो गया ।बाबा मोनी के दर्शन का सौभाग्य मुझे कई बार मिला।वाराणासी भी गया,प्रतिध्वनि का पाठक था।बाबा मोनी के परलोक गमन के बाद जैसे मै टूट गया ।इस बीच मेरे परिवार में भी दुखों का पहाड़ टूट पड़ा ।दोस्त भी बदली होकर चला गया और मैं धीरे-धीरे उपासना से विरत हो गया ।काकुरगाछी के घटनाक्रम और शिष्यों का व्यवहार मुझे मर्माहत कर गया था ।फिर भी आज मै कह सकता हूँ कि उपासना एक शक्तिशाली माध्यम है मन में शान्ति प्रदान करने का।गुरु के वाणि और लेखनी से हम जितना ग्रहन करेंगे उतना समाज का लाभ होगा ।
First of all, I bow to the feet of Swami Swaroopanand Akhandmandleshwar ji. I used to study his literature regularly while sitting with my friend. I sat down silently. I did not know the method of worship. After worship, people were offering obeisances to Om Deity by offering floral tributes, I did too. The devotees were turning back and bowing to a sage great man. Then I went to Swami Swarupanand. I am seeing ji (Baba Moni) How did Baba Moni know that I am a Hindi-speaking person? Then his fascination started. He started going to Pupunki Ashram while living in Bokaro, started participating in the character formation movement meeting with teacher Montu Da. After taking initiation from Baba Moni in Kakurgachi, Bokaro Akhand Started participating in the worship of the troupe. From c I reached Kakurgachi on the same day. I got that first record set at the hands of Baba Moni, I was blessed. I had the privilege of seeing Baba Moni many times. I also went to Varanasi, was a reader of Pratidhun. After that, as I broke down. In the meantime, a mountain of sorrows broke in my family too. The friend also left after changing and I gradually withdrew from worship. Even today I can say that worship is a powerful medium to provide peace in the mind. The more we accept the Guru's words and writings, the more society will benefit.
A
Akash Das on Google

Good
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Good mythological place
R
Rájésh Bháktá on Google

Bad behaviour
a
alak saha on Google

Peaceful place...u will get a wide range of ayurvedic medicines too

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