Royal Fitness Point - Indore

4.3/5 based on 7 reviews

Contact Royal Fitness Point

Address :

geetanjali motors, royal fitness point, 31, Chitawad Rd, Teen Navlakha, Sajan Nagar Main Rd, Navlakha, Indore, Madhya Pradesh 452001, India

Postal code : 452001
Categories :

geetanjali motors, royal fitness point, 31, Chitawad Rd, Teen Navlakha, Sajan Nagar Main Rd, Navlakha, Indore, Madhya Pradesh 452001, India
S
SURYA SANJEEV RANJAN on Google

P
Professional Editor on Google

R
Rohit Prajapat on Google

P
Prashant Garwal on Google

A
Akash Raghuwanshi on Google

Nice*8 सदी पुराना बरमान मेला* जबलपुर से करीब 125 किलोमीटर दूर करेली-सागर मार्ग पर यह मेला आयोजित होता है। इसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली है। यहाँ महाकौशल, विंध्य व बुंदेलखंड के अलावा महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश आदि अन्य राज्यों से आए लोग मौजूदगी दर्ज कराते हैं। नर्मदा किनारे बरमान के मेले तले विभिन्न पृष्ठभूमियों और रीति-रीवाज से जुड़े लोगों का संगम करीब एक महीने तक चलता है। नदियों के किनारे पैदा हुई मेला संस्कृति ने कई परंपराओं व मान्यताओं को हमेशा ही पोषित किया है। नरसिंहपुर जिले का बरमान मेला भी मूल्यों व परंपरा संग सदियों का सफर पूरा कर चुका है। इस मेले की शुरुआत कब हुई इसका कोई ऐतिहासिक दस्तावेज तो उपलब्ध नहीं है लेकिन जनश्रुति के आधार पर यह मेला आठ सदियों के पड़ाव पार कर चुका है। यहाँ आज भी 12वीं सदी की वराह प्रतिमा और रानी दुर्गावती द्वारा ताजमहल की आकृति का बनाया मंदिर मौजूद है। इसके अलावा, यहाँ स्थित 17वीं शताब्दी का राम-जानकी मंदिर, 18वीं शताब्दी का हाथी दरवाजा, छोटा खजुराहो के रूप में ख्यात सोमेश्वर मंदिर, गरुड़ स्तंभ, पांडव कुंड, ब्रह्म कुंड, सतधारा, दीपेश्वर मंदिर, शारदा मंदिर व लक्ष्मीनारायण मंदिर इतिहास का जीवंत दस्तावेज हैं। यहाँ के कुदरती नजारों के आकर्षण की वजह से ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया बचपन में लाव-लश्कर के साथ यहाँ महीनों रहती थीं। यहाँ स्थित रानी कोठी सिंधिया घराने ने ही बनवाई है। वहीं गरुड़ स्तंभ को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्थल की मान्यता दी है। हरे रंग का यह पत्थर राजा अशोक के समय का है। इस पर विष्णु के 24 अवतारों का चित्रांकन है। बरमान मेले का महत्व नर्मदा नदी की वजह से भी है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि ब्रह्मा ने नर्मदा तट के सौंदर्य से अभिभूत होकर यहाँ तप किया, इस वजह से ब्रह्मांड घाट कहलाया। कालांतर में ब्रह्मांड घाट का अपभ्रंश बरमान हो गया। यहाँ के पांडव कुंड के बारे में कहा जाता है कि वनवास के समय जब यहाँ पांडव ठहरे तो उन्होंने एक कुंड में नर्मदा का जल लाने का प्रयास किया, वह पांडव कुंड बन गया। पास में ही पांडव गुफाएँ हैं। वहीं सूर्य कुंड व ब्रह्म कुंड के बारे में मान्यता है कि इसमें स्नान करने से कुष्ठ रोग, चर्म रोग व मिर्गी दूर होती है। बरमान के प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं। कई तो जीर्णोद्धार की आस में खंडहर में बदलते जा रहे हैं। नदी की श्रृंगार सामग्री रेत व अन्य खनिज संपदा का इतना अधिक दोहन कर दिया गया कि नर्मदा के रेत घाट और सीढ़ी घाट कीचड़ में सन गए हैं। इस स्थल के विकास के लिए कुछ समय से बरमान विकास प्राधिकरण बनाने की माँग भी होती आ रही है। यहाँ के प्रसिद्ध भुट्टे और गन्ने का स्वाद तो लजीज माना ही जाता है, अब इसकी खेती को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। नर्मदा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए लोक परंपरा का गीत 'बंबुलिया' सिर्फ नरसिंहपुर जिले में ही गाया जाता है। यह एक ऐसा सामूहिक गान है जो यहाँ के अलावा नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर भरूच की खाड़ी तक कहीं भी सुनने को नहीं मिलता। मेले में स्वास्थ्य, कृषि, वन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, महिला एवं बाल विकास, उद्योग, रेशम, मत्स्यपालन समेत कई विभागों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र होती है। इस बार प्रमुख तौर पर कृषि यंत्र, लोहे-पीतल व ताँबे से बने बर्तन आकर्षण का केंद्र रहे। वहीं सर्कस, झूले, मौत का कुआँ, मीना बाजार आदि ने भी लोगों को अपनी ओर खींचा। यह मेला करीब ढाई सौ हेक्टेयर क्षेत्र में लगा है। इसमें कपड़े, ज्वेलरी, फर्नीचर, बर्तन, किराना, मिठाइयाँ, मनिहारी सामान, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक उत्पाद, चमड़े से बनी वस्तुओं का संकलन हैं। Source: वेबदुनिया, गज़ेटियर नरसिंहपुर
Nice * 8 century old barman fair * This fair is held on the Kareli-Sagar road, about 125 km from Jabalpur. Its fame extends far and wide. Apart from Mahakaushal, Vindhya and Bundelkhand, people from other states like Maharashtra, Uttar Pradesh etc. register a presence here. The confluence of people associated with different backgrounds and customs under the Narmada bank of Barman lasts for about a month. The fair culture born on the banks of the rivers has always nurtured many traditions and beliefs. Barman fair of Narsinghpur district has also completed the journey of centuries with values ​​and tradition. There is no historical document of when this fair started, but on the basis of Janushruti, this fair has passed eight centuries. Even today, a 12th-century Varaha statue and a temple built by Queen Durgavati in the shape of the Taj Mahal exist. Apart from this, the 17th-century Ram-Janaki temple located here, the 18th-century elephant door, Someshwar temple known as Chhota Khajuraho, Garuda pillar, Pandava kund, Brahma kund, Satadhara, Deepeshwar temple, Sharda temple and Lakshminarayan temple are vibrant history. There are documents. Due to the attraction of the natural scenes here, Vijayaraje Scindia, the Rajmata of Gwalior, lived here for months with Lashkar in her childhood. Rani Kothi located here is built by Scindia Gharana. The Garuda Pillar has been recognized by the Archeology Department as a protected site. This green stone belongs to the time of King Ashoka. It depicts 24 avatars of Vishnu. The importance of the Barman fair is also due to the Narmada River. It is mentioned in the Skanda Purana that Brahma, overwhelmed by the beauty of the Narmada coast, meditated here, because of this he was called the universe ghat. In the course of time, the illusion of the Universe Ghat became barren. It is said about the Pandav Kund here that when Pandavas stayed here during their exile, they tried to bring the water of Narmada in a pool, it became Pandav Kund. There are Pandava Caves nearby. At the same time, there is a belief about Surya Kund and Brahma Kund that taking a bath in it eliminates leprosy, skin diseases and epilepsy. The ancient historical temples of Barman are in dilapidated condition. Many are being transformed into ruins in the hope of renovation. The makeup of the river, the sand and other mineral resources were so exploited that the sand ghats and ladder ghats of Narmada have been buried in the mud. There has been a demand for the creation of Barman Development Authority for the development of this site for some time. The taste of the famous corn and sugarcane is considered to be delicious, now its cultivation also needs to be encouraged. In order to pay reverence to the Narmada, the folk tradition song 'Bambulia' is sung only in Narsinghpur district. It is a collective anthem which is not heard anywhere from Amarkantak, the origin of Narmada to the Bay of Bharuch. Exhibitions of several departments including Health, Agriculture, Forest, Public Health Engineering, Women and Child Development, Industry, Silk, Fisheries are the center of attraction in the fair. This time, agricultural machinery, utensils made of iron-brass and copper were the center of attraction. At the same time, circus, swing, death well, Meena Bazaar etc. also attracted people towards them. This fair is spread over an area of ​​about 250 hectares. It has a collection of clothes, jewelery, furniture, utensils, groceries, sweets, manihari goods, electronic, electric products, leather goods. Source: Webdunia, Gazetteer Narsinghpur
A
AMIT BAGHEL on Google

Good place to work out
V
Vijay Banna Ki Banna Giri on Google

My Gym

Write some of your reviews for the company Royal Fitness Point

Your reviews will be very helpful to other customers in finding and evaluating information

Rating *
Your review *

(Minimum 30 characters)

Your name *