SHIV MANDIR - Malhar

4.5/5 based on 8 reviews

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Malhar, Chhattisgarh 495551, India

Postal code : 495551
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Malhar, Chhattisgarh 495551, India
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Gulshan kumar Sahu on Google

#मल्हार बिलासपुर -- यहाँ ताम्र पाषाण काल से लेकर मध्यकाल तक का क्रमबद्ध इतिहास प्रमाणित हुआ है दसवीं से तेरहवीं सदी तक के समय में मल्हार में विशेष रूप से शिव मंदिरों का निर्माण हुआ। इनमें कलचुरि संवत्‌ 919 (1167 ईसवी) में निर्मित #केदारेश्वर मंदिर (#पातालेश्वर) सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।गौमुखी शिवलिंग के लिए विख्यात पतालेश्वर महादेव मंदिर श्रध्दा का केंद्र है इस मंदिर का निर्माण सोमराज नामक एक ब्राम्हण द्वारा कराया गया।मल्हार पर सर्वप्रथम कलचुरीवंश का शासन जाजलदेव प्रथम के समय में स्थापित हुआ, पृथ्वीदेव द्वितीय के राजत्वकाल में मल्हार पर कलचुरियो का मांडलिक शासक ब्रह्मदेव था , पृथ्वीदेव के पश्चात उसके पुत्र जाजलदेव द्वितीय के समय में सोमराज नामक ब्राम्हण ने मल्हार में प्रसिद्ध केदारेश्वर मंदिर का निर्माण कराया ,यह मंदिर अब पातालेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है | इस काल में शिव, गणेश, कार्तिकेय, विष्णु, लक्ष्मी, सूर्य तथा दुर्गा की प्रतिमाएं विशेष रूप से निर्मित की गयी। धूर्जटे महादेव का अन्य मंदिर कलचुरि नरेश पृथ्वीदेव द्वितीय के शासन-काल में उसके सामंत ब्रम्हदेव द्वारा कलचुरि संवत 915 (1163 ईसवी) में बनवाया गया । कलचुरी शासक पृथ्वी देव द्वितीय के शिलालेख में इसका प्राचीन नाम मल्लाल दिया गया है। 1167 ईसवी का अन्य कलचुरी शिलालेख इसका नाम मल्लापट्टन प्रदर्शित करता हैं. इतिहासकारों के अनुसार मल्लाल संभवतः मल्लारी से बना है, जो भगवान शिव की एक संज्ञा थी।पुराणों में मल्लासुर नामक एक असुर का नाम मिलता है जिसके नाशक शिव को मल्लारी कहा गया है। प्राचीन छत्तीसगढ अंचल में शिव पूजा के पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध ही चुके है, छत्तीसगढ का मल्लालपत्तन तीन नदियों से घिरा हुआ था। पश्चिम में अरपा, पूर्व में लीलागर एव दक्षिण में शिवनाथ।कलचुरी शासकों से पहले इस क्षेत्र में कई अभिलेखों में शरभपुर राजवंश के शासन का उल्लेख मिलता हैयह नगर धीरे-धीरे विकसित हुआ तथा वहां शैव, वैष्णव तथा जैन धर्मावलंबियों के मंदिरों, मठों मूतियों का निर्माण बडे रूप हुआ। मल्हार में चतुर्भुज विष्णु की एक अद्वितीय प्रतिमा मिली है। उस पर मौर्यकालीन ब्राम्हीलिपि में लेख अंकित है। इसका निर्माण काल लगभग ई. पूर्व 200 है। मल्हार तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्र से विशेषतः शैव मंदिरों के अवशेष मिले हैं जिनसे इस क्षेत्र में शैवधर्म के विशेष उत्थान का पता चला है। इसवी प्रांची से सातवीं सदी तक निर्मित शिव, कार्तिकेय, गणेश, स्कन्द माता, अर्धनारीश्वर आदि की उल्लेखनीय मूर्तियां यहां प्राप्त हुई हैं। एक शिलापट्ड पर कच्छप जातक की कथा अंकित है। शिलापट्ट पर सूखे तालाब से एक कछुए को उड़ाकर जलाशय की ओर ले जाते हुए दो हंस बने है। दूसरी कथा उलूक-जातक की है। इसमें उल्लू को पक्षियों का राजा बनाने के लिए सिंहासन पर बैठाया गया है| सातवीं से दसवीं शती के मध्य विकसित मल्हार की मूर्तिकला में उत्तर गुप्तयुगीन विशेषत्ञांए स्पष्ट प्रिलल्षित हैं अत: खननकर्ता प्रो के डी वाजपेई एबं डॉ. एस के. पांडेय इसे ही प्राचीन राजधानी शरभपुर मानते हैं बाद के शासनकाल में मल्लारी से मल्लाल फिर आधुनिक नाम मल्हार हो गया मल्हार में बौद्ध स्मारकों तथा प्रतिमाओं का स्पष्ट परिलक्षित है। मल्हार में बौद्ध स्मारकों तथा प्रतिमाओं का निर्माण इस काल की विशेषता है। बुद्ध, बोधिशत्व, तारा, मंजुश्री, हैवज़ आदि अनेक बौद्ध देवों की मल्हार में मिली हैं। उत्खनन में बौद्ध बेवता हेवज का मंदिर मिला है।।
#MalharBilaspur - Here the systematic history from the Chalcolithic period to the medieval period has been proved, especially from the tenth to the thirteenth century, Shiva temples were built in Malhar. Among them, Kedareshwar Temple (Pataleshwar) built in Kalchuri Samvat 919 (1167 AD) is the most important. Pataleshwar Mahadev temple, famous for Gaumukhi Shivling, is the center of reverence. This temple was built by a Brahmin named Somraj. The first Kalchuri dynasty on Malhar. The rule was established in the time of Jajaldev I, during the reign of Prithvidev II, the Mandalik ruler of Kalchuryo was Brahmadev on Malhar, after Prithvidev, in the time of his son Jajaldev II, a Brahmin named Somraj built the famous Kedareshwar temple in Malhar, this temple is now Pataleshwar. Famous by the name of temple. The idols of Shiva, Ganesha, Kartikeya, Vishnu, Lakshmi, Surya and Durga were specially made during this period. Another temple of Dhurjate Mahadev was built during the reign of Kalachuri king Prithvidev II by his feudatory Bramhadev in Kalachuri Samvat 915 (1163 AD). Its ancient name is given as Mallal in the inscription of the Kalachuri ruler Prithvi Dev II. Another Kalachuri inscription of 1167 AD shows its name as Mallapattan. According to historians, Mallal is probably derived from Mallari, who was a noun of Lord Shiva. In the Puranas, the name of an Asura named Mallasura is found, whose destroyer Shiva has been called Mallari. Sufficient evidence of Shiva worship has already been available in the ancient Chhattisgarh region, Mallalpattan of Chhattisgarh was surrounded by three rivers. Arpa in the west, Lilagar in the east and Shivnath in the south. The rule of Sharabhpur dynasty is mentioned in many inscriptions in this region before the Kalachuri rulers. Construction took a big hit. A unique statue of quadrilateral Vishnu has been found in Malhar. There is an inscription written on it in the Brahmi script of the Maurya period. Its construction period is about 200 BC. The remains of Shaivite temples have been found especially from Malhar and its adjoining area, which has revealed the special rise of Shaivism in this area. Notable sculptures of Shiva, Kartikeya, Ganesha, Skanda Mata, Ardhanarishvara etc., built from the AD period to the seventh century, have been found here. The story of Kachchap Jataka is inscribed on a rock plate. Two swans have been made on the rock plate, taking a turtle from a dry pond and taking it towards the reservoir. The second story is of Uluk-Jataka. In this, the owl is seated on the throne to make the king of the birds. In the sculpture of Malhar, developed between the seventh to the tenth century, the characteristics of the post-Gupta era are clearly visible, so the miners Prof. K. D. Vajpai and Dr. S. K. Pandey considers it to be the ancient capital of Sharabhpur. In the later reign, Mallari changed to Mallal then the modern name Malhar. Buddhist monuments and statues are clearly reflected in Malhar. The construction of Buddhist monuments and statues in Malhar is the specialty of this period. Buddha, Bodhisattva, Tara, Manjushri, Havaz etc. have been found in Malhar of many Buddhist deities. The temple of Buddhist Bevata Hevaj has been found in the excavation.
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Devendra vishwakarma on Google

Good architecture
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Mrityunjai Patel on Google

Nice for mindpeace
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Vikram Khandekar on Google

Amazing awesome ancient life & Raja Deur
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Ashwini Kumar on Google

Nice amazing place
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venkatesh rao on Google

10th century shiva temple

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