Kharbuja Mahal - Dhar

4.2/5 based on 8 reviews

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Address :

MP SH 31, Shri Vihar Colony, Dhar, Madhya Pradesh 454001, India

Postal code : 454001
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MP SH 31, Shri Vihar Colony, Dhar, Madhya Pradesh 454001, India
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sukant jain on Google

खरबूजा महल 16वीं सदी का ऐतिहासिक महल है जो धार के किले में स्थित है। इसके गुम्बदों की आकृति खरबूज की भांति है। यह दो मंजिला भवन हैं जिसमे निचले तल पर सात कमरे एवम ऊपरी तल पर चार कमरे बने हुए हैं यह महल पेशवा बाजीराव द्वितीय की जन्मस्थली भी हैं। (वास्तविक स्थिति) -वर्तमान में यह बहुत ही जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे हैं । -इस महल को देखकर आप समझ सकते है कि हमारी ऐतिहासिक धरोहरों को कैसे बर्बाद किया जाता हैं -मराठा काल मे इस महल पर प्लास्टर एवं भित्ति चित्रकारी की गई थी जिस पर वर्तमान पढे-लिखे वास्तुविदो ने सीमेंट का प्लास्टर लगा कर बर्बाद कर दिया हैं । -अंदर के कमरे पूर्णता क्षतिग्रस्त हो चुके है । -छतो पर खरपतवार एवम पौधे उग गए हैं जिन्हें बकरिया चरती नज़र आएगी। -दीवारों पर प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम उभरे नज़र आएंगे। -चारो तरफ कचरा एवम शराब की बोतल बिखरी पड़ी हैं । -कोई भी सुरक्षा उपाय नही अपनाये गए है -जो भी पर्यटक पुस्तको या अन्य किसी जानकारी से आकर्षित होकर पर्यटन भ्रमण हेतु आएंगे उन्हें सिवाय निराशा के कुछ भी नही मिलेगा। (क्या किया जा सकता है) यह महल धार वासियो की ऐतिहासिक धरोहर है अतः उन्हें ही इसके संरक्षण हेतु प्रयत्न करना चाहिए।
Kharbuja Palace is a 16th century historic palace situated in the fort of Dhar. The dome of its dome is like a melon. It is a two storey building with seven rooms on the lower floor and four rooms on the upper floor. This palace is also the birthplace of Peshwa Bajirao II. (Actual position) In present-day, it is very dilapidated. By seeing this palace you can understand how our historic heritage is wasted In the Maratha period, this castle was painted on plaster and wall, on which the current educated architect had ruined the plaster of cement. In-room rooms are completely damaged. - Weeds and plants have sprouted on the deck, which will be seen in Bakerya pearyi. -The names of lovers-lovers will appear on the streets. The garbage and liquor bottles are scattered on the side. No safety measures have been adopted -Which tourist books or any other information will be attracted to tourism, they will not get anything except disappointment. (what can be done) This palace is the historical heritage of Vassio and therefore he should try to conserve it.
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Abdullah Shah on Google

धार के परमार शासक राजा भोजदेव [1010-1055] के समय इस किले को [[धार गिरी लीलोद्यान]] के नाम से जाना जाता था । अलाउद्दीन खलजी के दिल्ली सिंहासन पर बैठने के कारण इस्लामिक प्रभाव धार में फैलने लगा, जिसके परिणामस्वरूप १३०५ मे अलाउद्दीन खलजी के सेनापति आईनुल मुल्क मुल्तानी ने मालवा पर आक्रमण कर परमार शासक महलकदेव की हत्या कर परमार वंश का अन्त कर दिया उसने द्वार तोड़ कर दुर्ग पर कब्जा कर लिया बाद मे इसी ने किले को पुनर्निर्मित कर दुर्गीकरण का कार्य पूर्ण किया । सन १३४६ मे मुहम्मद विन तुगलक भी देवगिरि जाते समय इस किले मे कुछ समय के लिये रुका । 1857 के विद्रोह के समय धार मध्य भारत के प्रमुख केंद्र के रुप मे रहा, इस किले पर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने कब्जा कर लिया और जुलाई से अक्टूबर , चार माह तक अपने कब्जे में रखा। [पुनर्निर्माण कर्ता एवम् वर्ष, किले मे पुरातात्विक विभाग द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित है ] किले के अंदर और भी कई संरचना मौजूद हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि खड़बूजा महल, शीश महल । इतिहास में स्पष्ट है कि जहांगीर ने शीश महल बनबाने मे सहायता की थी । दारा शिकोह जो कि शाहजहां का सबसे बड़ा बेटा था, उसने भी औरंगजेब से युध्द के दौरान इस किले में शरण ली थी इसी समय खरबूजा महल, जिसे कस्तूरी तरबूज के आकार के कारण यह नाम मिला है, 16 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था। पवार वंश ने 1732 ईस्वी में इस किले पर कब्जा कर इसे शाही महल के रूप में उपयोग मे लिया। मराठा संघर्ष के दौरान, रघुनाथ राव की पत्नी आनंदी बाई ने यहां आश्रय लिया, और उन्होंने इस स्थान पर पेशवा बाजीराव द्वितीय को जन्म दिया। वैरासिंह परमार ने 10 वीं शताब्दी में धार पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी बनाई। आज यह किला खंडहर हो गया है, पर जो भी अवशेष है, वे इसके वैभवशली अतीत के प्रमाण है। किलेबंदी की दीवार उपेक्षा, रखरखाव की कमी, पानी की कमी और पेड़ों और भारी झाड़ियों की वृद्धि के कारण ढह गई थी। लेकिन प्रशासन ने और अधिक गिरावट को नियंत्रित करने के लिए मरम्मत योजनाओं को निष्पादित करना शुरू कर दिया है; एक ही डिजाइन और पैटर्न के साथ नए लकड़ी के दरवाजे के पैनलों को उकेरने की योजना है, किलेबंदी की दीवार को मजबूत किया गया है, चूने के ऊपर रेत पत्थर के पटिया का उपयोग करके प्लस्तर संरक्षण कार्य किया गया है।
This fort was known as [[Dhar Giri Lilodyan]] during the time of King Bhojdev [1010–1055], the paramount ruler of Dhar. As Alauddin Khalji ascended the Delhi throne, Islamic influence began to spread in Dhar, as a result, in 1305, Alauddin Khalji's commander Iinul Mulk Multani invaded Malwa and killed the Parmar ruler Mahalakdev, ending the Parmar dynasty and broke the gate on the fort. It was later captured and renovated the fort and completed the work of denigration. In the year 138, Muhammad Vin Tughlaq also stayed in this fort for some time while going to Devgiri. At the time of the Revolt of 1857, Dhar remained as the main center of Central India, this fort was occupied by Indian freedom fighters and held for four months from July to October. [Reconstruction and year is based on information provided by the archaeological department in the fort] There are many other structures inside the fort which are quite important, such as Khadbuja Mahal, Sheesh Mahal. It is clear in history that Jahangir helped build the Sheesh Mahal. Dara Shikoh, the eldest son of Shah Jahan, also took refuge in this fort during the war with Aurangzeb.At this time Kharbuja palace, which got its name due to the shape of musk melon, was built in the 16th century AD. The Pawar dynasty captured this fort in 1732 AD and used it as a royal palace. During the Maratha struggle, Raghunath Rao's wife Anandi Bai took shelter here, and she gave birth to Peshwa Bajirao II at this place. Vairasingh Parmar conquered Dhar in the 10th century and made his capital. Today this fort is in ruins, but whatever remains are proof of its grand past. The fortification wall had collapsed due to neglect, lack of maintenance, lack of water and growth of trees and heavy bushes. But the administration has begun executing repair plans to control further deterioration; There are plans to engrave new wooden door panels with the same design and pattern, fortification wall strengthened, plaster protection work done using sand stone slab over lime.
P
Praveen Solanki on Google

Nice place
K
KULDEEP THAKUR on Google

Good
V
Vivek Solanki on Google

Ok
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Ratan Bairagi on Google

dewas is a very beautiful city This is the temple of 2 Mata ji, Tulja Bhavani and Chamunda Devi
D
Dheerendra Yadav on Google

place is ancient but not maintain well .
B
Bharat Motwani on Google

Good, well maintained. Its in the fort border.

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